PM मोदी ने सरदार पटेल को दी श्रद्धांजलि:तुष्टीकरण करने वालों को आतंकवाद भी नहीं दिखता ब्रजेन्द्र अवस्थी, 31/10/202331/10/2023 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात दौरे के दूसरे दिन सुबह 8 बजे नर्मदा जिले के केवडिया स्थित पहुंचे। उन्होंने यहां लौह पुरूष और देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 148वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पटेल की यहां 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कहा जाता है। इसके बाद PM ने लोगों को संबोधित किया। अपने संबोधन में देश की एकता और अखंडता के साथ-साथ कश्मीर में 370 को हटाए जाने पर भी बात की। साथ ही उन्होंने तेजी से बढ़ रही देश की विकास यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों पर भी हमला बोला। PM ने एकता की शपथ दिलाईस्टेच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने लोगों को एकता की शपथ दिलाते हुए कहा- मैं राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करूंगा और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्न करूंगा। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की भावना से ले रहा हूं, जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों से संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान देने का भी सत्यनिष्ठा से संकल्प करता हूं। 196 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन कियापरेड के बाद पीएम ने केवडिया के एकता नगर (जहां पटेल की मूर्ति लगी है) में विकास और पर्यटन से जुड़े 196 करोड़ रुपए के कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। इसमें हेरिटेज ट्रेन, 30 ई-बस, सिटी गैस की फैसिलिटी और गोल्फ कार्ट्स का इनॉगरेशन शामिल हैं। उन्होंने एक विजिटर्स सेंटर का भी उद्घाटन किया। यहां फूड कोर्ट, रेस्टॉरेंट और एंटरटेनमेंट के लिए कई फैसिलिटीज तैयार की गई हैं। साथ ही केवडिया में ट्रॉमा सेंटर और एक सौर पैनल के साथ उप-जिला अस्पताल की आधारशिला रखी। 6 हजार टन स्ट्रक्चरल स्टील से बनी है प्रतिमाइस प्रतिमा की लागत 2989 करोड़ रुपए आई। इसमें 2.10 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट और 2000 टन कांसे, 6 हजार 500 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18 हजार 500 टन सरियों का इस्तेमाल किया गया है। यह 12 किमी इलाके में बनाए गए तालाब के बीचों-बीच बनी है। प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके और 220 किमी की स्पीड के तूफान का भी सामना कर सकती है। प्रतिमा के निर्माण में 85% तांबे का उपयोग होने से हजारों साल तक इसमें जंग नहीं लग सकती। प्रतिमा की गैलरी में खड़े होकर एक बार में 40 लोग सरदार सरोवर डैम और विंध्य पर्वत के दर्शन कर सकते हैं। देश