3.40 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण होने लगा, 62.4 करोड़ के आईएसबीटी की डीपीआर तैयार नहीं ब्रजेन्द्र अवस्थी, 02/11/202302/11/2023 शहर के महोबा रोड पर निर्मित होने वाले आईएसबीटी (इंटर स्टेट बस टर्मिनल) का निर्माण 4 साल से नगर पालिका छतरपुर की लापरवाही से लटका हुआ है। इस सर्वसुविधा युक्त स्टैंड का निर्माण 62.4 करोड़ की लागत से किया जाना है। शुरुआत में इसका निर्माण नगरीय प्रशासन को कराना था। इसके बाद नगरीय प्रशासन ने इसका निर्माण पीपीपी मोड पर करने को कह दिया। अब इसका निर्माण नगर पालिका प्रशासन द्वारा कराया जाना है। लेकिन अब तक इसका डीपीआर ही फाइनल नहीं हुआ है। साथ ही आवंटित जमीन पर अतिक्रमण भी होने लगा है। बता दें कि चार साल पहले प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने शहर के अंदर आने वाली बसों को रोकने के लिए महोबा रोड पर आईएसबीटी बस स्टैंड की स्वीकृति प्रदान की। इससे पहले इस योजना पर कार्य शुरू होता, सरकार बदल गई। सरकार बदलने से दो साल तक मामला शांत पड़ा रहा। दो साल पहले महोबा रोड स्थित ग्राम सौंरा गांव के पास जिला प्रशासन ने आईएसबीटी निर्माण के लिए नगर पालिका प्रशासन को खसरा नंबर 449/1 में से 3.402 हेक्टेयर जमीन आवंटित की। इसके बाद डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी अहमदाबाद की कंपनी जग ट्रेडर्स को सौंपी दी गई है। डीपीआर तैयार होने के बाद स्वीकृति के लिए भोपाल भेजी गई। लेकिन नगरीय प्रशासन भोपाल ने पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मोड पर बनाने की बात लिखते हुए छतरपुर वापस कर दिया। तब से यह प्रोजेक्ट इस उपयंत्री से उस उपयंत्री के पास घूम रहा है, लेकिन हो कुछ नहीं रहा। आईएसबीटी का प्रभार सातवें उपयंत्री के पास बीते 4 साल के अंदर आईएसबीटी (इंटर स्टेट बस टर्मिनल) प्रोजेक्ट का प्रभार सातवें उपयंत्री के पास पहुंच गया है। लेकिन योजना आज भी डीपीआर पर अटकी हुई है। शुरुआत में यह फाइल तत्कालीन उपयंत्री पीडी तिवारी के पास थी। इसके बाद इसका प्रभार उपयंत्री बाबूराम चौरसिया, नजर अहमद अंसारी, महेंद्र पटेल, फिर से बाबूराम चौरसिया के पास पहुंच गया। इसके बाद उपयंत्री गोकुल प्रसाद प्रजापति से होते हुए आज आमिर खान के पास पहुंच गया है। स्टैंड की जमीन पर लगातार अवैध निर्माण हो रहे सौंरा गांव के पास स्थित शासकीय जमीन पर आईएसबीटी का निर्माण किया जाना है। निर्माण शुरू न होने से लोगों को अतिक्रमण का मौका मिल गया है। कुछ लोगों ने पक्के मकानों का निर्माण कर लिया है और कुछ लोग धीरे-धीरे करते जा रहे हैं। यदि एक-दो साल और यह योजना शांत पड़ी रही और निर्माण शुरू नहीं हुआ तो फिर से नगर पालिका को जमीन की तलाश करनी पड़ेगी। छतरपुर