स्वामी रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत की नसीहत को मानने से किया इंकार Anjali shrivas, 23/12/202423/12/2024 मंदिरों के जीर्णोद्धार को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भी ऐतराज जताया है. तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने कहा कि वह मोहन भागवत के बयान से सहमत नहीं हैं और कहा कि हम मोहन भागवत के अनुशासक हैं. ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पहले भी RSS चीफी के बयान पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि भागवत राजनीति के अनुसार लोग अपनी इच्छा से बोलते हैं और वोटों की जरूरत होने पर मंदिरों की तलाश करते हैं.जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मंदिरों को लेकर दिए गए मोहन भागवत के बयान से असहमत होते हुए कहा कि मंदिर के मु्द्दे पर संघर्ष जारी रहेगा. स्वामी रामभद्राचार्य ने संभल विवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संभल में जो कुछ हो रहा है, वह बुरा हो रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में एक अच्छा पक्ष यह है कि वहां मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं. उन्होंने कहा कि हम इसे लेकर रहेंगे, चाहे वोट, न्यायालय या जनता के सहयोग से हो. मंदिर के मुद्दे पर उनका संघर्ष जारी रहेगा और वह इसके लिए हर संभव उपाय करेंगेज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने स्वामी रामभद्राचार्य महाराज से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा है. शंकराचार्य ने कहा कि जब उन्हें सत्ता मिलनी थी, वह मंदिर-मंदिर करते थे, लेकिन अब उन्हें सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं. उन्होंने आरएसएस प्रमुख पर राजनीतिक लाभ के अनुसार बयान देने का भी आरोप लगाया था शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हुआ है, मंदिर तोड़ डाले गए हैं, इसलिए आक्रमणकारियों को जिन मंदिरों को नष्ट कर दिया गया है उनकी सूची बनानी चाहिए, फिर हिंदू गौरव को वापस लाने के लिए उन संरचनाओं का एएसआई सर्वे करना चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने हालांकि किसी विशिष्ट चर्चा का उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बाहर से कुछ लोग कट्टरता लेकर आए हैं और चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए. उन्होंने कहा कि देश अब संविधान के अनुसार चलता है. आधिपत्य के दिन चले गए हैं; मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन इसी तरह का दृढ़ था, हालांकि उनके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था.अयोध्या राम मंदिर (Shree Ram Janmabhoomi Mandir)-बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) विवाद खत्म होने के बाद देश में इन दिनों फिर से मंदिर-मस्जिद को लेकर नए विवाद (Mandir-Masjid Controversy) सामने आ रहे हैं. इसे लेकर अब RSS चीफ मोहन भागवत ने विरोध किया था. पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के दौरान RSS प्रमुख ने कहा कि हर दिन नए-नए मुद्दे उठाए जा रहे हैं, और यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है. भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर (Ram Janmabhoomi Mandir) निर्माण के बाद कुछ लोग नई जगहों पर इसी तरह के विवाद उठाकर हिंदू समुदाय (Hindu Community) के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इस प्रकार के विवादों को रोकने की आवश्यकता जताई और कहा कि यह रणनीति देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है. Uncategorized