महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि में एड ऑन कोर्स के तहत व्याख्यान का किया जा रहा आयोजन ब्रजेन्द्र अवस्थी, 01/09/202301/09/2023 महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा बुंदेलखंड की आर्थिक स्थिति एवं नवीन संभावनाएं विषय पर एड ऑन शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स के तहत व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन कुलपति प्रो. शुभा तिवारी एवं कुलसचिव विजय कुमार तिर्की के निर्देशन में आयोजित किया जा रहा है। आठवें दिन के इस आयोजन में मुख्य वक्ता डॉ. जेपी मिश्र रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि बुंदेलखंड में मनरेगा के बिना समावेशी विकास असंभव है। बुंदेलखंड में 39 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या है, जबकि 61 प्रतिशत लोग दूसरों पर निर्भर हैं। 61 प्रतिशत लोगों को मनरेगा से बुंदेलखंड में काम दिया जा रहा है। मनरेगा की शुरुआत 2 फरवरी 2006 से हुई, जिसमें 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी दी जाती है। देश के 21 राज्यों के 200 जिलों को पहली बार चयनित किया गया। पहले इसका नाम नरेगा था, बाद में इसे 2 अक्टूबर 2009 को मनरेगा नाम कर दिया गया, जो पूरे देश के 630 जिलों में लागू है। बुंदेलखंड में बेरोजगारी पांच प्रकार की पाई जाती है, कुशल, अकुशल, अल्पज्ञ, छिपी बेरोजगारी और कुशलता से परिपूर्ण बेरोजगारी। डॉ. मिश्रा ने आगे कहा कि बुंदेलखंड के सभी 6 जिलों की मजदूरी का विश्लेषण किया गया। मनरेगा द्वारा प्रधानमंत्री सड़क योजना में सभी को समावेशी विकास से जोड़ा है। महात्मा गांधी ने गरीबों, पिछड़ों, नीचे और पीछे के लोगों के लिए समावेशी और समरसता का कार्य किया, इसलिए इसे मनरेगा नाम दिया गया। सुखात्म पोषण विशेषज्ञ ने 1974 में ग्रामीण क्षेत्र में शारीरिक श्रम अधिक करने वाले मजदूरों को 2400 कैलोरी एवं शहरों में 2100 कैलोरी भोजन देने की बात कही। उन्होंने कहा कि मजदूरों का उत्थान तभी किया जा सकता है, जब भारत सरकार द्वारा मनरेगा का काम 100 से बढ़ाकर 180 दिन करे और मजदूरी की दर में वृद्धि करे। अब ग्रामीणों को जागरूक होना पड़ेगा, तभी उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा। इस व्याख्यान में डॉ. सीएल प्रजापति, डॉ. विभा वासुदेव, आनंद प्रताप यादव, डॉ. सीताराम अहिरवार और देवेश गुप्ता सहित छात्र मौजूद रहे। छतरपुर | एड ऑन कोर्स के तहत व्याख्यान सुनते विद्यार्थी। मध्यप्रदेश