400 साल बाद खरीदारी का दुर्लभ संयोग: दिवाली से पहले निवेश के शुभ मुहूर्त 4 को शनिपुष्य और 5 को रविपुष्य, दोनों दिन 8 बड़े योग; ब्रजेन्द्र अवस्थी, 31/10/202331/10/2023 दीपावली से ठीक सप्ताहभर पहले पहले यानी 4 नवंबर शनिवार और 5 नवंबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। दुर्लभ इसलिए, क्योंकि दोनों दिन 8 शुभ योग हैं। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि शनि और रविपुष्य के साथ अष्ट महायोग का ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 400 साल में नहीं बना। दीपावली से पहले शुभ कामों की शुरुआत के लिए ये दो दिन बेहद शुभ और महत्वपूर्ण रहेंगे। शनिवार को सुबह तकरीबन 8 बजे से पुष्य नक्षत्र शुरू होगा। जो रविवार को सुबह 10 बजे तक रहेगा। इस कारण शनि और रवि पुष्य के दो महामुहूर्त में किए काम लाभदायक, स्थाई और शुभ फलदायी रहेंगे। इन दोनों दिन रियल एस्टेट में निवेश, नए कामों की शुरुआत, वाहन, जूलरी, कपड़े और अन्य चीजों की खरीदारी का अक्षय लाभ मिलेगा। घरेलू और ऑफिस में इस्तेमाल की चीजें खरीदना भी शुभकारी रहेगा। 4 नवंबर, शनिवार को पुष्य नक्षत्र के साथ शंख, लक्ष्मी, शश, हर्ष, सरल, साध्य, मित्र और गजकेसरी योग रहेंगे। इन शुभ योगों के साथ ही पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि अपनी ही राशि में रहेगा। इन शुभ संयोग में की गई खरीदारी और प्रॉपर्टी में निवेश लंबे समय तक फायदा देगा। 5 नवंबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि, शुभ, श्रीवत्स, अमला, वाशि, सरल और गजकेसरी योग बनेंगे। जिससे निवेश, लेन-देन और नई शुरुआत के लिए ये दिन शुभ रहेगा। ये मंगलकारी योग देंगे स्थिरतापुष्य नक्षत्र में खरीदी शुभता और स्थिरता देती है। शनि और रवि पुष्यामृत के साथ बनने वाले शुभ योग, शनि और गुरु की स्थिति मंगलकारी योग बना रहे हैं। इन शुभ योग में किए हर तरह के काम स्थिरता देने वाले रहेंगे। – डॉ. गिरिजाशंकर शास्त्री, ज्योतिष विभागाध्यक्ष, बीएचयू नक्षत्रों का राजा है पुष्य, इस पर दो ग्रहों का प्रभावसभी नक्षत्रों में पुष्य को राजा का दर्जा मिला हुआ है। इसका स्वामी शनि और देवता गुरु होते हैं, इसलिए पुष्य नक्षत्र इन ग्रहों से विशेष प्रभावित रहता है। शनि स्थिरता के स्वामी माने जाते हैं। जबकि गुरु ज्ञान और धन का कारक होते हैं। शनि के प्रभाव से खरीदी गई चीजें लंबे समय तक बनी रहती है और गुरु के प्रभाव से समृद्धि देने वाली होती हैं। धर्म और ज्योतिष