
ग्रामीणों ने कलेक्टर से की थी शिकायत, 65 लाख से अधिक के फर्जी भुगतान का आरोप//
गौरिहार। ग्राम पंचायत महयाबा की सचिव द्वारा किए गए करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान और निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। हाल ही में जनपद पंचायत गौरिहार की महयाबा पंचायत में एक वर्ष पूर्व बिना किसी मरम्मत कार्य के शासकीय कूप की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये की राशि सेल्समैन के खाते में ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। अब जब ग्रामीणों द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर से की गई, तो पंचायत प्रशासन हरकत में आया और लगभग 10 माह बाद कूप की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, यह मरम्मत कार्य केवल खानापूर्ति के लिए किया जा रहा है, ताकि भौतिक सत्यापन के दौरान अधिकारी यह दिखा सकें कि कार्य हुआ है। मौके पर कार्य की गुणवत्ता और प्रक्रिया दोनों ही सवालों के घेरे में हैं। कार्य स्थल पर लीपापोती और आनन-फानन में की जा रही गतिविधियां इस बात का संकेत हैं कि शिकायतों के बाद प्रशासन अब कागज़ों को सही ठहराने की कोशिश में जुटा है।
सेल्समैन के खाते में पहुंची थी फर्जी मरम्मत राशि
मिली जानकारी के अनुसार, जून 2024 में ग्राम पंचायत महयाबा की सचिव श्रीमती रचना मिश्रा द्वारा गांव के ही विशाली पाल के समीप स्थित शासकीय कूप की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। इस कार्य के लिए कोई भौतिक कार्य नहीं कराया गया, लेकिन राशि सीधे सेल्समैन शिवदत्त सेन के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। जब ग्रामीणों को इस अनियमितता की जानकारी हुई तो उन्होंने जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर से शिकायत की। इसके बाद प्रशासनिक अमले में हलचल मच गई और अब मरम्मत कार्य कराया जा रहा है।
फर्जी भुगतान का आंकड़ा 65 लाख से पार
ग्रामवासियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पंचायत सचिव द्वारा अब तक लगभग 65 लाख से अधिक की राशि का फर्जी भुगतान विभिन्न व्यक्तियों के खातों में किया गया है। इनमें 40 लाख रुपये शिवदत्त सेन को, 20 लाख रुपये सूरेश मिश्रा को तथा 10 लाख से अधिक की राशि अन्य लोगों को स्थानांतरित की गई है। यह राशि निर्माण कार्यों, मरम्मत कार्यों और सामग्री आपूर्ति जैसे मदों में जारी की गई थी, लेकिन इनमें से अधिकतर कार्य स्थल पर न तो कोई कार्य हुआ, और न ही सामग्री आपूर्ति का कोई प्रमाण मिला।
जांच से पहले छिपाने की कोशिशें तेज
ग्रामीणों का कहना है कि अब जब मामला कलेक्टर तक पहुंच गया है, तो पंचायत सचिव और संबंधित अधिकारी मौके पर निर्माण कार्यों की लीपापोती में जुटे हैं ताकि दस्तावेज़ी प्रमाणों के आधार पर जांच को भटकाया जा सके। लेकिन मरम्मत कार्य की गुणवत्ता और प्रक्रिया से स्पष्ट है कि यह सब महज दिखावा है।
सचिव को हटाने और जांच की उठी मांग
गांव के जागरूक नागरिकों ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी सचिव को तत्काल सेवा से पृथक किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार केवल पंचायत स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे उच्च स्तरीय मिलीभगत भी हो सकती है, जिसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।